शिक्षण संग्रह मॉड्यूल प्रश्नोत्तरी ( विस्तृत हल )

Shikshan Sangrah Module in Hindi

शिक्षण संग्रह हस्तपुस्तिका से चुने हुए महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर जैसे – प्रभावी शिक्षण के तरीके , व्यक्तित्व विकास की कार्ययोजना , शिक्षक डायरी आदि और साथ ही शिक्षण संग्रह मॉड्यूल पीडीऍफ़ डाउनलोड करें | Shikshan Sangrah Module in Hindi

शिक्षण संग्रह मॉड्यूल

भाग – 1

प्रश्न ( 1 ) : शिक्षण संग्रह मॉड्यूल क्या है ?

उत्तर – शिक्षण संग्रह ( Compendium ) से आशय एक पुस्तिका के रूप में ऐसी सूचनाओं का संग्रह है |जो आकर्षक स्कूल परिसर , शिक्षण कौशलों , शिक्षण योजनाओं , लर्निंग आउटकम्स , पुस्तकालय , प्रयोगशालाओं जैसे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों से सम्बंधित है जिनका प्रयोग दैनिक शिक्षण कार्य को प्रभावी एवं सुगम बनाने के लिए कर सकते हैं | 

भाग – 2

प्रश्न ( 1 ) : प्रभावी शिक्षण की सीढ़ी या प्रभावी शिक्षण के तरीके क्या है ?

उत्तर – गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराने में प्रभावी शिक्षण एक प्रमुख तत्व है | प्रभावी शिक्षण बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को सहज , सरल एवं बालकेन्द्रित बनाते हुए स्थायी अधिगम हेतु कारगर होता है | अंग्रेजी वर्णमाला के 26 अक्षरों को प्रभावी शिक्षण की सीढ़ी की तरह प्रयोग किया गया है |

प्रश्न ( 2 ) : पुस्तकालय का उपयोग किस प्रकार किया जाएगा ?

उत्तर – पुस्तकालय के प्रभावी उपयोग हेतु एक शिक्षक को प्रभारी बनाया जायेगा | छात्रों के मध्य भी तीन छात्रों की एक पुस्तकालय समिति बनाई जाएगी |

जिसकी जिम्मेदारी होगी कि पुस्तकों को क्रमांक के अनुसार उसका स्थान निर्धारित करे एवं पुस्तक की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखे | प्रत्येक कक्षा के बच्चों को हर सप्ताह पुस्तकालय जाने का अवसर मिले जिसमें वे पुस्तकों की छानबीन करें |

छात्रों को खाली वादन में समूह में पढ़ने हेतु प्रोत्साहित करें | पुस्तकालय के प्रयोग पर आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित की जायें  |

प्रश्न (3 ) : लर्निंग आउटकम को प्राप्त करने में सहायक माध्यम कौन-कौन से हैं ?

उत्तर – लर्निंग आउटकम को प्राप्त करने में निम्न माध्यम सहायक होंगे –

  1. I C T का प्रयोग 
  2. विद्यालय – भवन ( BALA )
  3. शैक्षिक नवाचार 
  4. गतिविधि आधारित शिक्षण 
  5. परिवेशीय संसाधनों का उपयोग 
  6. बैठक व्यवस्था 
  7. सामुदायिक ज्ञान का उपयोग 
  8. पुस्तकालय एवं प्रयोगशाला का प्रयोग आदि |

भाग – 3

प्रश्न ( 1 ) : प्रातः कालीन सभा ( प्रार्थना सत्र ) के सफल क्रियान्वयन के लिए कौन- कौन सी तैयारी आवश्यक है ?

उत्तर – प्रातः कालीन सभा के सफल संचालन हेतु निम्न तैयारी करनी होगी –

  1. विभिन्न प्रार्थनाओं , समूहगान , देशगीतों , प्रकृति गीतों , फसलों ऋतुओं , मौसम के गीतों , लोकगीतों का संकलन , 
  2. माहवार मौसम के अनुसार स्वास्थ्य जागरूकता के क्रियाकलापों / जानकारियों का संकलन 
  3. विभिन्न लघु कथाओं / प्रेरक प्रसंगों का संकलन 
  4. दिवसवार जयंतियों , राष्ट्रीय पर्वों , त्यौहारों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियों का संकलन 
  5. संक्षिप्त एवं रोचक सामूहिक गतिविधियों का संकलन 
  6. शारीरिक सक्रियता की गतिविधियों ( योग , पी.टी. ,व्यायाम ) का चयन 
  7. बच्चों के प्रोत्साहन योग्य कार्यों का चयन 
  8. दैनिक अखबारों से प्रमुख ख़बरों का सार संकलन आदि |
प्रश्न ( 2 ) : अध्यापक छात्रों को किस प्रकार व्यावसायिक परामर्श देकर प्रोत्साहित कर सकते हैं ?

उत्तर – छात्रों को निम्नलिखित रूप से प्रोत्साहित किया जा सकता है –

  1. सफल कहानियों को बच्चों के समक्ष दिखाकर 
  2. बच्चों को उनकी क्षमताओं एवं व्यक्तिगत विभिन्नताओं का आभास कराते हुए व्यावसायिक परामर्श देना 
  3. बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार व्यवसाय चुनने के लिए प्रोत्साहित करना 
  4. रूचि के अनुसार चुने गए व्यवसाय के बारे में उचित जानकारी देकर , जैसे कि – चुने गए व्यवसाय से सम्बंधित शिक्षण/प्रशिक्षण संस्थाएं , चयनित व्यवसाय का स्कोप , भविष्य में संभावनाएं ,कार्य क्षेत्र , सम्बंधित क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर आदि |

प्रश्न ( 3 ) : जीवन कौशल क्या है , प्रमुख जीवन कौशल कौन – कौन से हैं ?

उत्तर – शिक्षा व्यक्तित्व विकास का सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा बच्चा जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सटीक निर्णय लेने , अपने प्रति जागरूक रहने जैसे तमाम कौशलों से परिचित होता है | ये कौशल उसके जीवन को सुगम बनाते हैं इसलिए इन्हें जीवन कौशल कहते हैं |

कुछ मुख्य जीवन कौशल निम्नलिखित हैं –

  • समालोचनात्मक सोच
  • सृजनात्मक सोच
  • निर्णय लेना
  • समस्या समाधान
  • प्रभावी सम्प्रेषण
  • पारस्परिक अंतरसंबंध
  • स्व जागरूकता
  • समभाव
  • तनाव पर नियन्त्रण
  • भावनाओं पर नियन्त्रण

भाग – 4

प्रश्न ( 1 ) : बच्चों के किन पक्षों का आकलन किया जाना चाहिए ?

उत्तर – आकलन करते समय बच्चे के भिन्न-भिन्न विषयों / क्षेत्रों में सीखने और प्रदर्शन , कौशल , रुचियां , रुझान और अभिप्रेरणा , एक निश्चित अवधि में सीखने और व्यवहार में होने वाले परिवर्तन तथा विद्यालय के भीतर और बाहर मौजूद भिन्न-भिन्न स्थितियों और अवसरों के प्रति प्रतिक्रिया का ध्यान रखना चाहिए |

भाग – 5

प्रश्न ( 1 ) : शैक्षिक नेतृत्व के प्रकार कौन -कौन से हैं ?

उत्तर -प्रधानाध्यापक को अपने विद्यालय के शैक्षिक उन्नयन के लिए एक प्रभावी योजना बनाकर तथा उसके क्रियान्वयन के लिए अपनी टीम के सभी सदस्यों को साथ लेकर कार्य करना है | प्रधानाध्यापक के सम्बन्ध में निर्णय लेने और कार्य करने के आधार पर कुछ नेतृत्त्व शैलियाँ निम्न हैं –

  1. सत्ताधारी या निरंकुश नेतृत्व ( Authoritarian Leadership )
  2. लोकतंत्रीय या जनतंत्रीय या सहभागी शैली ( Democratic Style )
  3. अनहस्तक्षेपी या स्वतन्त्र शैली ( Laissez-fair Style )
प्रश्न ( 2 ) : समावेशी शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ?

उत्तर – समावेशी शिक्षा की विशेषताएं निम्नवत हैं –

  1. यह विद्यालय में नामांकित सभी बच्चों के लिए है |
  2. बच्चों के शारीरिक मानसिक और बौद्धिक स्तर का खासतौर से ध्यान रखा जाता है |
  3. ऐसी शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें सभी बच्चे अपने स्तर और क्षमता के अनुसार शामिल होते हैं |
  4. बच्चों में आत्मविश्वास की भावना का विकास होता है |
  5. समावेशी शिक्षा , कमजोर , प्रतिभाशाली , अमीर-गरीब , ऊँच-नीच तथा दिव्यान्गता में कोई भेद-भाव नहीं करती |
  6. सभी बच्चों को सम्मान और अपनेपन की संस्कृति के साथ व्यक्तिगत मतभेदों को स्वीकार करने के लिए भी अवसर प्रदान करती है |

भाग – 6

प्रश्न ( 1 ) : शिक्षण योजना में कौन-कौन से चरण होते हैं ?

उत्तर – शिक्षण योजना के चरण निम्नलिखित हैं –

  1. लर्निंग आउटकम 
  2. प्रकरण 
  3. सीखने-सिखाने की सामग्री 
  4. सीखने-सिखाने की प्रक्रियाएं / गतिविधियाँ –          (क) शिक्षण की शुरुआत में     (ख) शिक्षण के दौरान   (ग) शिक्षण के बाद में 
  5. प्रदत्त कार्य / गृह कार्य ( असाइनमेंट )
  6. शिक्षक की आगामी योजना 
प्रश्न ( 2 ) : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) -2005 का संक्षिप्त परिचय दीजिए |

उत्तर – राष्ट्रीय अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद ( NCERT ) की कार्यकारिणी ने जुलाई 2004 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या को संशोधित करने का निर्णय लिया |

इसके लिए प्रो. यशपाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन समिति और 21 राष्ट्रीय फोकस समूहों का गठन किया गया |

इन समूहों के माध्यम से देश के हर हिस्से में संगोष्ठियों , विचार-विमर्श एवं बड़ी मात्रा में प्राप्त लोगों की प्रतिक्रियाओं पर चिंतन करते हुए राष्ट्रीय संचालन समिति ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा -2005 नामक दस्तावेज प्रस्तुत किया |

प्रश्न ( 2 ) : राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) -2005 के पांच निर्देशक सिद्धांत क्या हैं ?

उत्तर –  NCF-2005 के अंतर्गत शिक्षा के व्यापक उद्देश्य चिन्हित किये गए और पांच निर्देशक सिद्धांतों का प्रस्ताव रखा गया , जो निम्न हैं –

  1. ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ना 
  2. पढ़ाई रटंत प्रणाली से मुक्त हो 
  3. पाठ्यचर्या का इस प्रकार संबर्धन कि वह बच्चों को सर्वांगीण विकास के अवसर मुहैया करवाए 
  4. परीक्षा को अपेक्षाकृत अधिक लचीला बनाना और कक्षा की गतिविधियों से जोड़ना 
  5. एक ऐसी पहचान का विकास , जिसमें प्रजातांत्रिक राज्य व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय चिंताएं समाहित हों |
प्रश्न ( 3 ) : निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम -2009 क्या है ?

उत्तर – 1993 में उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदत्त निर्णय में कहा गया कि 14 वर्ष तक के समस्त बच्चों को निःशुल्क प्रारम्भिक शिक्षा प्रदान करना राज्य का दायित्व है |

इस निर्णय के उपरान्त 86 वाँ संविधान संशोधन 2002 के अंतर्गत मूल अधिकारों में अनुच्छेद 21 A  सम्मिलित किया गया | जिसके अनुसार ” राज्य 6-14 वर्ष के आयु वर्ग वाले सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का ऐसी रीति में जो राज्य विधि द्वारा अवधारित करें , उपबंध करेगा |

इसके फलस्वरूप प्रारम्भिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त हुआ | इसी क्रम में 2006 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम का एक माडल विधेयक विकसित हुआ |

यह माडल विधेयक 04 अगस्त 2009 को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम -2009 के रूप में पारित हुआ तथा 27 अगस्त 2009 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित हुआ | इस प्रकार 01 अप्रैल 2010 से निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( RTE ACT -2009 ) पूरे देश में लागू हो गया |

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