निपुण भारत मिशन उत्तर प्रदेश

RTE एक्ट (निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम) 2009 के अंतर्गत 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है | शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए समय-समय पर विभिन्न अभियान चलाये जा रहे हैं | इस पोस्ट में आप ऐसे ही कार्यक्रम Nipun Bharat Mission /Mission Prerna Phase 2 के बारे में पढेंगे | निपुण भारत लक्ष्य, सूची और तालिका pdf डाउनलोड करें |

निपुण भारत मिशन (Nipun Bharat Mission)

वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक कक्षाओं में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने तथा कक्षा 3 तक सभी बच्चों में पढ़ने-लिखने और संख्या ज्ञान में ग्रेड स्तर की अपेक्षित योग्यता प्राप्त करने के उद्देश्य से निपुण भारत मिशन कार्यक्रम 5 जुलाई 2021 से प्रारम्भ किया गया है | इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए 23 दिसंबर 2021 को शासनादेश जारी किया गया था |

Nipun Bharat Mission के लक्ष्यों को चरणबद्ध रूप से प्राप्त करने के लिए कुछ संशोधनों के उपरान्त 27 जून 2022 को नया शासनादेश जारी हुआ है | जिसमें प्रमुख बाते इस प्रकार हैं –

त्रैमासिक लक्ष्यों का निर्धारण

शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 में नेशनल एचीवमेंट सर्वे (NAS) कराया गया था | इस सर्वे से प्राप्त परिणामों को बेस लाइन मानते हुए प्रदेश में कक्षा 3 के भाषा एवं गणित में प्राप्त परिणाम के अनुरूप ही कक्षा 1 से 3 (भाषा और गणित) का जनपदवार बेसलाइन निर्धारण किया जा रहा है |

कक्षा 1 से 3 के बच्चों का गणित एवं भाषा में अपेक्षित अधिगम स्तर सुनिश्चित तथा निपुण लक्ष्यों को स्तर जाचने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय एवं एस०सी०ई०आर०टी० ,उत्तर प्रदेश द्वारा त्रैमासिक अंतराल पर मूल्यांकन कराया जाएगा |

कक्षा-1 से 3 के बच्चों के अधिगम स्तर के मूल्यांकन हेतु निपुण लक्ष्य निम्नवत हैं –

Nipun Bharat Lakshya Maths (Bhasha)

बालवाटिकानिर्धारित सूची में से 2 अक्षर वाले 5 शब्दों को सही से पढ़ लेते हैं |
कक्षा-15 सरल शब्दों (2 अक्षर) से बने वाक्य पढ़ लेते हैं |
कक्षा-2अनुच्छेद को 45 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेते हैं |
अनुच्छेद को पढ़कर 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |
कक्षा-3अनुच्छेद को 60 शब्द प्रति मिनट के प्रवाह से पढ़ लेते हैं |
अनुच्छेद को पढ़कर 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |

Nipun Bharat Lakshya Maths (Ganit)

बालवाटिका10 तक की संख्याएं पढ़ लेते हैं |
दी गयी संख्याओं, वस्तुओं, आकृतियों एवं घटनाओं को क्रम में व्यवस्थित कर लेते हैं |
कक्षा-1एक अंकीय जोड़ एवं घटाव के 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |
कक्षा-2जोड़ (योग 99 तक) एवं घटाव (दो अंकीय) के 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |
कक्षा-3जोड़ (योग 999 तक) एवं घटाव (तीन अंकीय) के 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |
2 से 10 तक अंकों का गुना (गुणनफल 100 तक) के 75% प्रश्नों को सही हल कर लेते हैं |

उपरोक्त लक्ष्यों को हासिल करने की समय सीमा 2025-26 निर्धारित की गयी है | इसको प्राप्त करने के लिए त्रैमासिक लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है |

गतिविधियाँ

Nipun Bharat Mission के उपर्युक्त लक्ष्यों (Measurable Goals) का प्रत्येक स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुये उक्त लक्ष्यों की सम्प्राप्ति हेतु निम्नांकित गतिविधियां एवं हस्तक्षेप (Interventions) सुनिश्चित किया जाय :-
1- शिक्षा विभाग के समस्त अधिकारियों एवं शिक्षकों द्वारा निपुण लक्ष्य आत्मसात् किया जाये तथा अभिभावकों एवं समुदाय में व्यापक प्रचार-प्रसार कराते हुये जन-आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया जाय।

2- ए०आर०पी० द्वारा आवश्यकता आधारित अनुसमर्थन, रचनात्मक प्रतिक्रिया एवम् उच्च गुणवत्ता के स्पॉट असेसमेण्ट के साथ उत्कृष्ट शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से ऊर्जा संचरण करते हुये शिक्षकों को निरंतर प्रोत्साहित करना है, जिससे कि सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के माध्यम से सकारात्मक वातावरण का सृजन किया जा सके।

3- न्याय पंचायत स्तर पर प्रभावी कक्षा-शिक्षण तथा कक्षानुरूप अधिगम को सुनिश्चित करने हेतु प्रधानाध्यापक तथा शिक्षकों को प्रभावी फीडबैक प्रदान करने, विभिन्न मॉड्यूल्स के क्रियान्वयन में सहयोग प्रदान करने तथा बेस्ट एवं इनोवेटिव प्रैक्टिसेज के आदान-प्रदान हेतु शिक्षक संकुल की नियमित बैठकें की जायें। उक्त बैठकें अनिवार्यतः शिक्षण अवधि के उपरान्त की जायेंगी।

प्रिंट रिच सामग्री का प्रयोग

4- प्रिंटरिच सामग्री के कुशल प्रयोग से बच्चों में प्रश्न, जिज्ञासा, पूछताछ के द्वारा Engaging Learning Environment का सृजन किया जाय, जिससे कि चर्चा-परिचर्चा के उपरान्त वे पूर्व ज्ञान और अर्जित ज्ञान, आस-पास के वातावरण एवम् वाह्य दुनिया से स्वयं को सहसम्बन्धित एवम् अभिव्यक्त कर सकें।

5- बच्चों में आरम्मिक गणितीय दक्षताओं एवम् मूल अवधारणाओं के साथ ही तार्किक सोच एवम् वैचारिक समझ विकसित करने के लिये निरंतर अभ्यास कार्य तथा एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर कार्य किया जाना है, जिससे कि बच्चे विषय के साथ ही गणित को तर्क,अनुमान एवम् सामान्यीकरण का प्रयोग करते हुये दैनिक जीवन में भी सफल हो सकें।

6- कोविड महामारी के कारण विगत दो वर्षों में हुये लर्निंग लॉस को कम करने तथा कक्षानुरूप अपेक्षित दक्षतायें प्राप्त करने के लिये प्रभावी कक्षा-शिक्षण हेतु पाठ्यबिन्दु / लर्निंग आउटकम पर आधारित शिक्षण योजना / शिक्षक डायरी बनायी जाय।

7- ‘ध्यानाकर्षण’ हस्तपुस्तिका में सुझायी गयी 18 शिक्षण तकनीकियों एवं फाउण्डेशनल लिटरेसी एण्ड न्यूमरेसी पर आधारित 100 वीडियोज प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड किये गये हैं। उक्त हस्तपुस्तिका एवं वीडियोज में बतायी गयी शिक्षण तकनीकियों का कक्षा-शिक्षण में प्रयोग किया जाय ।

उपचारात्मक शिक्षण में संदार्शिकाओं का प्रयोग

8- फॉरमेटिव एसेसमेण्ट करते हुये उपचारात्मक शिक्षण सुनिश्चित किया जाये। विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले मॉड्यूल्स, आधारशिला कियान्वयन संदर्शिका में उल्लिखित साप्ताहिक शिक्षण योजना, पद्धतियों एवं विभिन्न गतिविधियों का कक्षा-शिक्षण में प्रयोग सुनिश्चित किया जाये जिससे कि बच्चों में ग्रेड अनुरूप दक्षतायें प्राप्त करायी जा सकें।

9- लाइब्रेरी/रीडिंग बुक्स बाहरी दुनिया के ज्ञान, कौतूहल, मूल्यों एवम् जिज्ञासा के साथ ही सहज एवम् बोधगम्य अनुभव तथा अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। अतः प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय का सक्रिय संचालन सुनिश्चित कराते हुये ग्रेड अनुरूप रीडिंग बुक्स/लाइब्रेरी बुक्स का सुव्यवस्थित प्रदर्शन एवं सोद्देश्यपूर्ण ढंग से प्रयोग किया जाये, जिससे कि “पढ़ना” बच्चों के दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सके।

सीखने में ICT तकनीकी का प्रयोग

10- घर पर सीखने की प्रक्रिया को नियमित एवं प्रभावी बनाने हेतु अभ्यास कार्य एवं गृह कार्य पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा बच्चों एवं अभिभावकों को दीक्षा एप एवं रीड एलांग ऐप के प्रयोग हेतु अभिप्रेरित किया जाये। इसके साथ ही जनपद एवं विकासखण्ड स्तरीय बैठकों में दीक्षा एवं रीड एलांग ऐप के एडॉप्शन एवं प्रयोग की निरन्तर समीक्षा एवं प्रचार-प्रसार किया जाय।

11- जिला समन्वयक, खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा विद्यालय निरीक्षण में अकादमिक अवलोकन के बिन्दुओं पर विकासखण्ड एवं जनपद स्तरीय बैठकों में चर्चा एवं अनुश्रवण करते हुये यथावश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाय।

12- दीक्षा के माध्यम से ऑनलाइन एवं विकासखण्ड स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को समयबद्ध, अच्छी गुणवत्ता एवं लर्निंग वातावरण के साथ पूर्ण किया जाये, जिससे कि Professional Development Objectives के साथ ही Professional Learning Outcomes के लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें।

जनपद स्तरीय निपुण टास्क फ़ोर्स द्वारा समीक्षा

13- जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित की जाने वाली जनपद स्तरीय निपुण टास्क फोर्स एवं अन्य जनपद स्तरीय बैठकों में अकादमिक बिन्दुओं पर डेटा आधारित समीक्षा की जाये। प्रेरणा पोर्टल एवं विभिन्न निरीक्षणों में प्राप्त डेटा तथा सपोर्टिव सुपरविज़न, सैट परीक्षायें, शिक्षक–प्रशिक्षण, दीक्षा के प्रयोग, उपचारात्मक शिक्षण का अनुश्रवण किया जाये तथा गैप एनालिसिस करते हुये लक्षित हस्तक्षेप सुनिश्चित किये जायं ।

14- खण्ड शिक्षा अधिकारियों एवं प्रधानाध्यापकों की मासिक बैठकों में समन्वित प्रयासों से डेटा आधारित विश्लेषण के उपरान्त सुधार प्रक्रियाओं पर गहनता से कार्य किया जाना है, जिसके मुख्य कदम हैं – विद्यालय स्तर पर छात्र डेटा के आधार पर उपचारात्मक शिक्षण हेतु क्षेत्रों की पहचान, निर्देशों में सम्बन्धित समस्या को सम्बोधित करना, निश्चित एवम् सुनियोजित कार्ययोजना का अनुपालन करते हुये बच्चों की प्रगति का मूल्यांकन करना ।

उक्त निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप किसी विद्यालय के शत-प्रतिशत बच्चों द्वारा ग्रेड कम्पीटेंसी हासिल करने के उपरांत विद्यालय को ‘निपुण विद्यालय’ घोषित किया जाएगा | उक्तानुसार किसी विकासखण्ड के शत-प्रतिशत बच्चों द्वारा निर्धारित दक्षताएं प्राप्त किए जाने की दशा में उक्त विकासखण्ड को ‘निपुण विकासखण्ड’ ( Pole- Pocket of Learning Excellence ) के रूप में घोषित किया जाएगा | इसी प्रकार जिस जनपद के समस्त विकासखंडों द्वारा स्वतन्त्र मूल्यांकन में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया जाएगा, उन्हें ‘निपुण जनपद’ घोषित किया जाएगा |

(2) बालवाटिका

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के समन्वय से समग्र शिक्षा द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 05 वर्ष की आयु से पूर्व प्रत्येक बच्चा एक ‘प्रिपरेटरी कक्षा’ या ‘बालवाटिका’ में जा सकेगा ( अर्थात कक्षा-1 से पहले ) | इन प्रारम्भिक कक्षाओं में अधिगम मुख्य रूप से खेल आधारित शिक्षा पर फोकस किया जाएगा, जिसमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरक क्षमताओं का विकास तथा प्रारम्भिक साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को विकसित करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा |

(3) स्कूल तैयारी मॉड्यूल ( विद्या प्रवेश )

एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा विकसित कक्षा-1 के चहरों के लिए 03 माह के खेल-आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल एवं राज्य की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एस०सी०ई०आर०टी० द्वारा स्कूल तैयारी मॉड्यूल का विकास किया गया है | यह मॉड्यूल गतिविधि एवं खेल के माध्यम से अधिगम लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है | स्कूल तैयारी मॉड्यूल पर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को एस०सी०ई०आर०टी०, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा |

(4) संवर्द्धित कक्षा-कक्ष –

विद्यालयों में कक्षा-कक्ष का वातावरण सुधारने एवं आकर्षक बनाने के लिये टी.एल.एम., वर्कबुक, प्रिंटरिच सामग्री आदि शिक्षकों एवं बच्चों को उपलब्ध करायी जायेंगी। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में खेल, खोज और गतिविधि-आधारित शिक्षण को सम्मिलित करके एक समावेशी कक्षा का वातावरण सृजित किया जायेगा। अकादमिक गतिविधियों यथा- टी0एल0एम0, विभिन्‍न मॉड्यूल्स, किट्स एवं प्रेरणा तालिका के प्रयोग तथा सपोर्टिव सुपरविज़न आदि के माध्यम से कक्षा-कक्ष का रूपान्तरण सुनिश्चित किया जायेगा।

(5) शिक्षक प्रशिक्षण –

फाउण्डेशनल लिटरेसी एवं न्यूमरेसी तथा विभाग द्वारा विकसित विभिन्‍न मॉडयूल्स एवं शैक्षणिक सामग्री के साथ ही के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा निर्गत निर्देशानुसार शिक्षक प्रशिक्षण प्रकिया को नियमित एवं अद्यावधिक किये जाने के लिये राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0 द्वारा प्रशिक्षण कोर्सेज का वार्षिक कैलेण्डर जारी किया जायेगा।

(6) दीक्षा एवं आई०टी0 प्रणाली का प्रयोग –

एस0०सी0ई०आर0टी0 द्वारा कक्षा 1-3 तक के ई- कन्‍टेंट की निपुण भारत के लक्ष्यों के सापेक्ष मैपिंग की जायेगी तथा आवश्यकतानुसार कन्टेंट में संशोधन व संवर्द्धन सुनिश्चित किया जायेगा। छात्र-केंद्रित, परिणाम-केद्रित शिक्षण के साथ स्थानीय भाषा / भाषाओं में अधिगम-शिक्षण व ई- कंटेंट के लिए दीक्षा पोर्टल को नए पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क के साथ जोड़ा जायेगा तथा विद्यालय स्तर पर इसका उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा। आई0टी0 प्रणाली यथा- दीक्षा, स्मार्ट क्लासेज, National Digital Education Architecture (NDEAR) आदि को बढ़ावा दिया जायेगा।

(7) अधिगम आकलन –

छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स के आधार पर विषयवार / ग्रेडवार अधिगम आकलन एवं मूल्यांकन हेतु विद्यालय आधारित आकलन, राज्य स्तरीय आकलन (SAT) एवं राज्य परियोजना कार्यालय स्तर से चयनित वाहय संस्था के माध्यम से स्वतंत्र मूल्यांकन सुनिश्चित किया जायेगा। आकलन के परिणामों के आधार पर बच्चों को प्रगति कार्ड उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें बच्चों की समग्र प्रगति का विवरण अंकित होगा। आयोजित की गयी परीक्षा का रिपोर्ट कार्ड प्रत्येक छात्र-छात्रा के अभिभावक को प्रेषित किया जायेगा एवं प्रत्येक विद्यालय की ग्रेडिंग कराते हुए विद्यालय रिपोर्ट कार्ड खण्ड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से प्रधानाध्यापकों को प्रेषित किया जायेगा, जिससे कि शैक्षिक गुणवत्ता में निरन्तर सुधार किया जा सके।

(8) पुस्तकालय का उपयोग-

बच्चों शाह पढ़ने के प्रति रूचि विकसित करने के उद्देश्य से सभी विद्यालयों में लाइब्रेरी विद रीडिंग कार्नर स्थापित किया जायेगा, जिसमें बुनियादी भाषायी एवं गणितीय कौशल से संबंधित पुस्तकें तथा कहानी की पुस्तकों से युक्त एक समृद्ध एवं कियाशील पुस्तकालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।

(9) सामुदायिक सहभागिता-

“निपुण भारत” के कियान्वयन हेतु मिशन के उद्देश्यों से समुदाय, अभिभावकों एवं विद्यालय प्रबन्ध समिति को अवगत कराया जाये एवं उनकी सकिय सहभागिता भी सुनिश्चित करायी जाये।

(10) वित्तीय प्राविधान-

“निपुण भारत” मिशन के अन्तर्गत कार्यकमों एवं गतिविधियों का कियान्वयन भारत सरकार द्वारा समग्र शिक्षा के अन्तर्गत वार्षिक कार्ययोजना एवं बजट में प्राप्त स्वीकृति के कम में समग्र शिक्षा द्वारा वहन किया जायेगा। उक्त हेतु जनपदों को प्रेषित धनराशि के व्यय आदि के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा द्वारा प्रेषित किये जायेंगे।

(11) कियान्वयन एवं अनुश्रवण –

मिशन के प्रभावी अनुश्रवण के लिए जनपद एवं विकासखण्ड स्तर पर टास्क फ़ोर्स का गठन किया जाएगा |

Nipun Bharat Mission UP GO pdf

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