पेड़ों के संग बढ़ना सीखो (कविता) : कक्षा 8 प्रज्ञा पाठ 4

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पेड़ों के संग बढ़ना सीखो ( Pedo ke sang badhna sikho )

Exercise ( अभ्यास )
विचार और कल्पना :

प्रश्न ( 1 ) : अगर पेड़ न होंगे तो मनुष्य का जीवन कैसा हो जाएगा ? इस सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए |

उत्तर- अगर हमारे आसपास पेड़-पौधे नहीं होंगे तो सबसे पहले प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी हो जायेगी | वर्षा में भी गिरावट होगी और उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर में बदल जायेगी | जीव-जन्तु पानी , भोजन और ऑक्सीजन की कमी से मरने लगेंगे | जिसके कारण पृथ्वी से जीव-जंतुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा |

प्रश्न ( 2) : यदि पेड़ बोलने लगें तो अपनी कौन-कौन सी समस्या बताएँगे ?

उत्तर- अगर पेड़ बोलने लगें तो वे मनुष्यों द्वारा अपने ऊपर किये जाने वाले अत्याचार के विषय में बताएँगे | कैसे मनुष्य अंधाधुंध तरीके से पेड़ों का सफाया कर रहा है | कुछ पेड़ों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं |

कविता से :

प्रश्न ( 1 ) : “बहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी सी धरती पाऊँ” से कवि का क्या आशय है ?

उत्तर- कवि का आशय है कि अगर उसे धरती का एक टुकड़ा मिल जाए तो वह उसे किस प्रकार पेड़-पौधों को लगाकर एक बगीचा तैयार करेगा | जिसमें फल-फूल लगेंगे और उस पर चिड़ियाँ चहचहायेंगी | बगीचे से मिलने वाली ताज़ी हवा जलाशय को छूकर निकलेगी |

प्रश्न ( 2 ) : कविता में कवि की क्या चिन्ता है ?

उत्तर- प्रस्तुत कविता में कवि को चारों तरफ फ़ैली हरियाली, पेड़-पौधों , जीव-जंतुओं और साफ़-सुथरी हवा के खोने की चिंता है |

प्रश्न ( 3 ) : कवि क्या विनती कर रहा है ?

उत्तर- कवि लोगों से विनती कर रहा है कि अगर आपके पास हरा-भरा बगीचा , खेत-खलिहान, पशु-पक्षी हैं तो उन्हें नष्ट मत होने देना |

प्रश्न ( 4 ) : बच्चे और पेड़ संसार को हरा-भरा किस प्रकार रखते हैं ?

उत्तर- बच्चे और पेड़ में एक बहुत बड़ी समानता होती है कि पेड़ भी शिशुओं की तरह अपनी शाखाएं कटने पर रोते हैं | जैसे एक शिशु को देखकर आदमी प्रसन्न होता है उसी प्रकार अपने लगाए पेड़ को भी देखकर उसे उतनी ही प्रसन्नता होती है |

भाषा की बात :

प्रश्न ( 1 ) : क्रिया के किस रूप से ज्ञात होता है कि कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है, उसे ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते हैं , जैसे – पढ़ना-पढ़वाना |

निम्नलिखित क्रिया शब्दों से प्रेरणार्थक क्रिया बनाइये –

खेलना – खेलवाना

रखना – रखवाना

घूमना – घुमवाना

काटना – कटवाना

बनाना – बनवाना

लिखना – लिखवाना

देखना – देखवाना

पिलाना – पिलवाना

प्रश्न ( 2 ) : जहाँ पर वर्णों की आकृति से काव्य की शोभा बढ़ती हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है | उदाहरण के लिए :- संग-संग , एक-एक , बाग़-बगीचा , फूल-फल आदि | आप अपनी पुस्तक से खोजकर अनुप्रास अलंकार के दो अन्य उदाहरण लिखिए |

उत्तर- बोटी-बोटी , भर-भर , काँव-काँव , धीरे-धीरे , जीव-जंतु , पाँच-पाँच |

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