हे जग के स्वामी (कविता) कक्षा 4 फुलवारी पाठ 1

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हे जग के स्वामी (He Jag ke Swami)

चमक रहा है तेज तुम्हारा,

बन कर लाल सूर्य-मंडल,

फ़ैल रही है कीर्ति तुम्हारी,

बन करके चाँदनी धवल |

भावार्थ : कवि ईश्वर की प्रसंशा करते हुए कहता है कि हे प्रभु ! आपका प्रकाश, सूर्य बनकर पूरे संसार को प्रकाशित कर रहा है और आपका यश, श्वेत प्रकाश की किरणों के रूप में चारों तरफ फैल रहा है |

चमक रहे हैं लाखों तारे,

बन तेरा शृंगार अमल,

चमक रही है किरण तुम्हारी,

चमक रहे हैं सब जल-थल |

भावार्थ : कवि ईश्वर का गुणगान करते हुए कहता है कि लगता है कि आसमान में लाखों तारे जैसे प्रभु का स्वच्छ शृंगार करने के लिए चमक रहे हैं और आपके प्रकाश से जग का सारा जल-थल चमक रहा है |

हे जग के प्रकाश के स्वामी !

जब सब जग दमका देना,

मेरे भी जीवन के पथ पर,

कुछ किरणें चमका देना

भावार्थ : कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे संसार के प्रकाश के स्वामी जब आप पूरे संसार को अपने प्रकाश से चमका चुके हों तब मेरे जीवन रुपी मार्ग में भी कुछ उजाला कर देना|

Exercise ( अभ्यास )

बोध प्रश्न :

प्रश्न ( 1 ) : उत्तर लिखिए –
( क ) कविता में प्रकाश के स्वामी से क्या प्रार्थना की गई है ?

उत्तर – कविता में प्रकाश के स्वामी से प्रार्थना की गई है कि जब आप पूरे संसार को अपने प्रकाश से चमका चुके हों तब मेरे जीवन रुपी मार्ग में भी कुछ उजाला कर देना|

( ख ) ईश्वर को जग के प्रकाश का स्वामी क्यों कहा गया है ?

उत्तर – प्रस्तुत कविता में सूर्य, चन्द्रमा और तारों को ईश्वर का रूप माना गया है, इसलिए उन्हें जग के प्रकाश का स्वामी कहा गया है |

( ग ) कविता के आधार पर ईश्वर की महिमा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए |

उत्तर – कविता में कवि ने बताया है कि  ईश्वर द्वारा रचित सूरज और तारे किस प्रकार अपने प्रकाश से पूरे संसार को रोशन कर रहे हैं और साथ ही कवि ने अपने जीवन रुपी पथ पर भी प्रकाश फ़ैलाने की कामना की है |

प्रश्न ( 2 ) : कविता की पंक्तियों को सही क्रम में लिखिए –

उत्तर – फ़ैल रही है कीर्ति तुम्हारी ,

            बन करके चाँदनी धवल |

            चमक रहे हैं लाखों तारे , 

            बन तेरा श्रृंगार अमल |

            चमक रही है किरण तुम्हारी ,

            चमक रहे हैं सब जल – थल |

प्रश्न ( 3 ) : निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –

हे जग के प्रकाश के स्वामी !

जब सब जग दमका देना ,

मेरे भी जीवन के पथ  पर ,

कुछ किरणे  चमका देना |

उत्तर – कवि कहता है कि हे जगत के प्रकाश के  स्वामी ! आप पूरे संसार को अपने प्रकाश से प्रकाशमान कर चुके हों तब मेरे जीवन रुपी मार्ग में भी कुछ उजाला कर देना |

प्रश्न ( 4 ) : सोच – विचार : बताइए –
( क ) हमें प्रकाश किन – किन चीजों से मिलता है ?

उत्तर – हमें प्रकाश तारों और सूर्य से मिलता है |

( ख ) प्रकृति के किन – किन रूपों को देखकर ईश्वर की याद आती है ?

उत्तर – प्रकृति में जीवन को सरल बनाने हेतु सभी प्रकार की वस्तुएं ईश्वर ने बना रखी हैं | ये कार्य ईश्वर के अलावा कोई नहीं कर सकता है | वह प्रकाश के देवता सूरज के रूप में , जल देवता के रूप में अग्नि देवता के रूप में या यह कहें कि वह कण-कण में व्याप्त है |

प्रश्न (5) : भाषा के रंग –
( क ) जिन शब्दों के अर्थ समान होते हैं उन्हें ‘ पर्यायवाची शब्द ‘ कहते हैं | नीचे लिखे शब्दों में से ‘जल’ और ‘सूर्य’ के पर्यायवाची शब्दों को चुनकर लिखिए –
( रवि , नीर , वारि , भानु , अम्बु , भास्कर , पानी , दिनकर )

           सूर्य – रवि , भानु , भास्कर , दिनकर 

           जल – नीर , वारि , अम्बु , पानी 

( ख ) कविता में ‘जल-थल’ और ‘जब-सब’ जैसे समान ध्वनि वाले शब्द आये हैं | इस तरह के शब्दों को तुकांत शब्द कहते हैं | इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों के तीन-तीन तुकान्त शब्द लिखिए –

            लाल  – माल , गाल , शाल 

            तेरा  – मेरा , फेरा , 

            चमक – दमक , नमक , 

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