भू-क्षरण

Solution for SCERT UP Board textbook कृषि विज्ञान कक्षा 7 पाठ 2 भू-क्षरण solution pdf. If you have query regarding Class 7 Krishi Vigyan Agriculture chapter 2 Bhoo ksharan, please drop a comment below.

भू-क्षरण

Exercise ( अभ्यास )

प्रश्न ( 1 ) : सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाएं –

( i ) भू-क्षरण निम्न शक्तियों ( कारकों ) द्वारा होता है |

क )  वर्षा 

ख ) हवा 

ग ) बर्फ 

घ ) उपरोक्त सभी  (✓)

( ii ) भू-क्षरण से तात्पर्य है –

क ) भूमि के कणों का अपने स्थान से हटना एवं दूसरे स्थान पर इकट्ठा होना  (✓)

ख ) पानी का बहना 

ग ) बर्फ का पिघलना 

घ ) खेत की जुताई करना 

( iii ) वायु भू-क्षरण निम्नकारक द्वारा होता है –

क ) जल द्वारा 

ख ) बर्फ द्वारा 

ग ) वायु द्वारा  (✓)

घ ) गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा 

( iv ) बीहड़ ( रेवाइन ) निम्न स्थानों पर पाया जाता है –

क ) नदी एवं नालों के किनारे व आसपास  (✓)

ख ) खेती योग्य भूमि पर 

ग ) खेत के मैदानों में 

घ ) गाँव में 

( v ) मृदा संरक्षण का अर्थ है –

क ) मृदा को क्षरण से बचाना  (✓)

ख ) मृदा का पानी के साथ खेत से बहना 

ग ) ढाल पर खेती करना 

घ ) मिट्टी खोदना 

प्रश्न ( 2 ) : निम्नलिखित कथनों में सही पर सही (✓) तथा गलत पर गलत (✗) का चिन्ह लगाइए –

i) भू-क्षरण का अर्थ मिट्टी को खोदकर अन्यत्र ले जाना |  (✗)

ii) भू-क्षरण से खेत की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है |  (✓)

iii)  वायु क्षरण अधिकतर शुष्क  एवं रेतीले क्षेत्रों में होता है |  (✓)

iv)  एक हेक्टेयर खेत से औसतन 50 टन मिट्टी प्रतिवर्ष बह जाती है |  (✗)

प्रश्न ( 3 ) : रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

i) ढालू खेतों से भू-क्षरण अधिक होता है |

ii) सबसे अधिक भू-क्षरण जल से होता है |

iii) त्वरित क्षरण मानव द्वारा होता है |

iv)  भूस्खलन ( लैंडस्लाइड ) पहाड़ी क्षेत्र में होता है |

v) मृदा सतह की एक इंच ऊपरी परत बनाने में प्रकृति को 300 से 1000 वर्ष लगते हैं |

प्रश्न ( 4 ) : निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ का स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए –

     स्तम्भ ‘क’                        स्तम्भ ‘ख’

i) जलीय क्षरण             जल द्वारा मिट्टी कणों का बहना 

ii) वायु क्षरण                वायु द्वारा मिट्टी कणों का उड़ना 

iii) त्वरित क्षरण            मनुष्य के हस्तक्षेप द्वारा क्षरण 

iv) प्राकृतिक क्षरण       प्रकृति द्वारा क्षरण 

प्रश्न ( 5 ) (i) : खेत से पानी बहने के बाद खेत में अँगुलियों जैसी संरचना कैसे बनती है ?

उत्तर –  पानी का तेज बहाव छोटी-छोटी नलिकाओं का जाल बना देता है जो अँगुलियों के समान दिखाई देती हैं |

( ii ) : वर्षा के बूँद से क्षरण कैसे होता है ?

उत्तर –  इस प्रकार के क्षरण में जब वर्षा की बूँदें मृदा से टकराती हैं तो मिट्टी के कण बिखर जाते हैं |

( iii ) : बालू के टीले ( सैंडडयून ) कैसे बनते हैं ?

उत्तर –  रेतीली भूमि में तेज हवाओं के कारण बालू के टीले बन जाते है जो वायु के वेग के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होते रहते हैं |

( iv ) : पानी के साथ मिट्टी बहकर कहाँ चली जाती है ? इसका प्रभाव क्या होता है ?

उत्तर –  पानी के साथ मिट्टी बहकर नदी नालों में चली जाती है जिसके कारण नदी नालों की गहराई कम हो जा रही है |

( v ) : ढालू खेतों में फसलों का उत्पादन कम क्यों होता है ?

उत्तर –  ढालू खेतों की मिट्टी की ऊपरी परत जो अधिक उपजाऊ होती है पानी के साथ बह जाती है जिसके कारण फसलों का उत्पादन कम हो जाता है |

( vi ) : बरसात के दिनों में मटमैले एवं गंदले पानी के अन्दर क्या होता है ?

उत्तर –  बरसात के दिनों में मटमैले एवं गंदले पानी के अन्दर मिट्टी के कण होते हैं |

( vii ) : पुराने पेड़ों की जड़ें मिट्टी के ऊपर दिखाई देती हैं इसका कारण बताइए |

उत्तर –  पुराने पेड़ों के किनारे की मिट्टी पानी के तेज बहाव के कारण बह जाती है जिससे उसकी जड़ें ऊपर दिखाई देने लगती हैं |

( viii ) खेत को समतल एवं मेडबंदी करने से क्या लाभ है ?

उत्तर –  खेत को समतल एवं मेढ़बंदी करने से भू-क्षरण कम होता है और भूमि की उर्वरा शक्ति कम नहीं होती |

( ix ) ढालू भूमि में किस विधि से खेती करते हैं ?

उत्तर –  ढालू भूमि में कंटूर विधि से खेती करते हैं |

( x ) पहाड़ी पर किस प्रकार की खेती करते हैं ?

उत्तर –  पहाड़ी पर सीढ़ीदार खेती करते हैं |

( xi ) वनस्पतियाँ ( पेड़ ,पौधे ) किस तरह से मृदा संरक्षण में सहायक होती हैं ?

उत्तर –  पेड़-पौधों की जड़ें मिट्टी को मजबूती से रोक कर रखती है और मृदा क्षरण को कम करने में मदद करती हैं |

( xii ) ढालू भूमि में ढाल के विपरीत खेती करने से क्या लाभ है ?

उत्तर –  ढालू भूमि में ढाल के विपरीत खेती करने से भू-क्षरण कम होता है जिससे फसल उत्पादन अधिक होता है |

( xiii ) सीढ़ीदार खेती से क्या समझते हैं ?

उत्तर – अधिक ढालू एवं पहाड़ों पर ढाल के विपरीत सीढ़ीनुमा संरचना बनाकर खेती की जाती है |

( xiv ) पशुओं द्वारा अनियमित चराई करने से मृदा संरक्षण पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर –  पशुओं की अनियमित चराई से घास और वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती है जिसके कारण भू-क्षरण अधिक होता है और नदी-नालों में मिट्टी जमा होने के कारण उनकी जल धारण क्षमता घट जाती है और बाढ़ का कारण बनती है |

( xv ) खेत व नालों से बहते हुए पानी को रोकने हेतु कौन सी संरचना बनाते हैं ?

उत्तर –  खेत और नालों से बहते पानी को रोकने के लिए मेढ़ और बाँध बनाते हैं |

प्रश्न ( 6 ) : भू-क्षरण की परिभाषा दीजिए | जलीय भू-क्षरण के प्रकारों का वर्णन कीजिए |

उत्तर –  भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं |

प्रश्न (7 ) : वायुक्षरण से आप क्या समझते है ? इसका वर्णन कीजिए |

उत्तर –  जब भूमि का क्षरण वायु द्वारा होता है तो उसे वायु भू-क्षरण कहते हैं | यह कम वर्षा एवं शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में होता है | जहाँ आमतौर पर तेज हवाएं चलती हैं वहां भूमि पर वनस्पतियों का आवरण नहीं होता है | जिसके कारण हवा मिट्टी के कणों को कई-कई किलोमीटर दूर उड़ा ले जाती है |

प्रश्न (8 ) : प्राकृतिक एवं त्वरित भू-क्षरण उदाहरण सहित समझाइये |

उत्तर – प्राकृतिक भू-क्षरण – यह क्षरण प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा होता है | इसकी गति धीमी व विनाश रहित होती है |

त्वरित भू-क्षरण – चारागाहों में उगी घास की अनियमित चराई , वनों की अंधाधुंध कटाई आदि से भू सतह पर स्थित वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं जिसके कारण भू-क्षरण की गति तीव्र हो जाती है | इस प्रक्रिया को त्वरित भू-क्षरण कहते हैं |

प्रश्न (9 ) : भू-क्षरण किन-किन कारकों द्वारा होता है ? वर्णन कीजिए |

उत्तर –  भू-क्षरण कई कारकों द्वारा होता है –

  1. वर्षा 
  2. वायु 
  3. गुरुत्वाकर्षण बल 
  4. हिमनद 

प्रश्न ( 10 ) : भू-क्षरण से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए |

उत्तर – 

  1. भू-क्षरण से भूमि की ऊपरी उपजाऊ परत नष्ट हो जाती है जिसका फसल उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
  2. नदी – नालों में सिल्ट जमा हो जाती है जो बाढ़ का कारण बनती है |
  3. इसके फलस्वरूप हरित क्षेत्र में भी कमी आती है |

प्रश्न ( 11 ) : मृदा संरक्षण की परिभाषा एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए |

उत्तर –  मृदा संरक्षण वह विधि है जिसमें मृदा उपयोग क्षमता का पूरा – पूरा लाभ उठाते हुए मृदा को क्षरण से बचाया जा सकता है |

मृदा , जल और वनस्पतियाँ प्रकृति की बहुमूल्य देन हैं जिनसे मनुष्य की बुनयादी आवश्यकताओं जैसे भोजन , इंधन , चारा आदि की पूर्ति होती है |मृदा सतह की ऊपरी परत बनाने हेतु प्रकृति को 300 से 1000 वर्ष लगते है | इसलिए इसकी रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है |

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