Here we have given the solution of SCERT UP Board textbook कक्षा 7 पृथ्वी और हमारा जीवन “हमारा भूमण्डल” पाठ 6 वायु की गतियाँ solution pdf, | If you have query regarding Class 7 chapter 6 “Vayu ki Gatiya” , please drop a comment below.
वायु की गतियाँ
अभ्यास प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पवन किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर : गर्म हवा वाले क्षेत्र में चलने मे निम्न दाब तथा ठंडे वायु वाली क्षेत्र में उच्च दाब पाया जाता है | वायु दाब और हवा के चलने में गहरा संबंध होता है | वायु सदैव उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर को चलती है पृथ्वी के धरातल के निकट वायु की स्थिति की गति को हवा या पवन कहते हैं |
पवनों को दो वर्गों में रखा गया है
- सनातनी या स्थाई या नियत वाही पवन |
- अनिश्चित या अस्थाई या अनियतवाही पवन |
(ख) उत्तरी गोलार्द्ध मे व्यापारिक पवनों की दिशा क्या होती है ?
उत्तर : उत्तरी गोलार्द्ध में व्यापारिक पवनो की दिशा फेरल के नियमानुसार इनकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण गोलार्ध से उत्तर-पश्चिम होती है |
(ग) कोरियालिस बल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर : धरातल पर चलने वाली पवनों की दिशा वायुदाब में अंतर और पृथ्वी की घूर्णन गति द्वारा निर्धारित होती है पृथ्वी की अपनी धुरी पर पश्चिम से पूरब घूमने के कारण ही पवनों की दिशा में मुड़ना हो जाता है पवनों की दिशा में परिवर्तन लाने वाले इस बल को कोरियॉलिस बल कहा जाता है |
(घ ) चक्रवात आने पर कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए ?
उत्तर : चक्रवात आने पर निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए
- संचार माध्यमों द्वारा सूचना मिलने पर समुद्र के समीप मछली पकड़ने ना जाएं|
- चेतावनी प्राप्त होने पर समुद्र तट तथा नदियों के डेल्टा क्षेत्र से दूर सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं|
- चक्रवात आने पर मकानों के ऊपर के टीन सेड उखड़ कर उड़ जाते हैं अतः दरवाजे पर खिड़कियां बंद कर मकान के भीतर ही रहे|
- चक्रवात के कारण टूटे हुए पुल भवन पेड़ और बिजली के खंभे व तारों को न्यू छुये और घरों की बिजली की लाइट काट दें |
- बाढ़ के पानी में ना जाएं तथा जहरीले जीव जंतुओं से सावधान रहें|
(ड) चक्रवात और प्रतिचक्रवात में क्या अन्तर है ?
उत्तर : चक्रवात उन चक्करदार पवनो को कहते हैं जिनके मध्य में निम्न वायुदाब एवं किनारे की ओर उच्च वायुदाब होता है वायुमंडल में स्थानीय दशाओं के कारण भंवर उत्पन्न हो जाते हैं जो भयंकर झंझावतो का रूप धारण कर लेते हैं उन्हें चक्रवात कहा जाता है| प्रतिचक्रवात में वायु की दिशा चक्रवात के विपरीत होती है इसमें केंद्र में उच्च वायुदाब रहता है और बाहर की ओर वायु दाब क्रमश: कम होता जाता है इसमें पवन की गति धीमी पड़ जाती है मौसम सामान्य हो जाता है |
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(क) पवन, उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चलती है-
(ख) पछुआ पवन, स्थाई या नियत वाही पवनों का प्रकार है।
(ग) भारत में उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात आते हैं।
(घ) चिनूक पवन अमेरिका देश से सम्बन्धित है।
कारण बताइए-
(क) मानसूनी पवनें छः-छ: माह पर अपनी दिशा क्यों परिवर्तित करती हैं?
उत्तर : मानसून शब्द का प्रयोग उन पवनो के लिए किया जाता है जिनकी दिशा में वर्ष मे दो परिवर्तन होता है| यह कौन है ऋतु परिवर्तन के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं | एशिया महादीप में ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु के तापमान में भारी विषमता पाई जाती है | तापमान की इस विषमता के कारण वायुदाब में भी परिवर्तन हो जाता है इस लिए शीत ऋतु में पवने स्थल से सागरों की ओर तथा ग्रीष्म ऋतु में सागरों से स्थल की ओर चलने लगती हैं | सागरों से आने वाली पवने आद्रता से भरी होती हैं इसलिए ग्रीष्म ऋतु में भारी वर्षा होती है | इस ऋतु की पवनों को ग्रीष्ममें मानसून कहते हैं | हमारे देश में ग्रीष्मकालीन मानसून से अधिक वर्षा होती है शीत ऋतु में यह पवने स्थल से जल की ओर चलती है |
(ख) चक्रवात विनाशकारी क्यों होते हैं ?
उत्तर : चक्रवात विनाशकारी इसलिए होते हैं क्योंकि चक्रवात निम्न वायुदाब का वह क्षेत्र है जिनके चारों ओर उच्च वायुदाब होता है | चक्रवात से तेज पवने उच्च वायुदाब वाले बाहरी क्षेत्रों से अंदर से निम्न दाब की ओर चलती है| इससे चलने वाली तेज गति हवाओं( 30 से 64) किलोमीटर के साथ भारी वर्षा तथा गर्जन के फलस्वरुप जानमाल के बहुत हानि होती है इस प्रकार चक्रवात विनाशकारी होते हैं |
अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(क) सागरीय तथा स्थलीय समीर
उत्तर : स्थलीय तथा सागरीय समीर मुख्य रूप से छोटे रूप में मानसून पवन की भांति होती हैं| इनकी दिशा में 24 घंटे के अंदर दो बार परिवर्तन होता है |सागरीय समीर दिन में सागर से स्थल की ओर तथा स्थलीय समीर रात में स्थल से सागर की ओर चला करती हैं |
(ख) पछुआ पवनें और मानसूनी पवनें
उत्तर : उपोष्ण उच्च वायु दाब से उप ध्रुवीय निम्न वायुदाब के बीच दोनों गोलार्ध में चलने वाली स्थाई पवन को पछुआ पवन कहते हैं| इनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व तथा दक्षिण गोलार्ध में उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूरब की ओर होती है | मानसूनी पवने मानसून शब्द का प्रयोग उन पवनो के लिए किया जाता है जिनकी दिशा में वर्ष मे दो बार परिवर्तन होता है यह पवने ऋतु परिवर्तन के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं |
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